दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर लाल किले पर हुई हिंसा के संबंध में चार्जशीट दायर कर दी है। दिल्ली पुलिस की चार्जशीट के अनुसार, 26 जनवरी को लाल किले पर भीड़ ने न सिर्फ ऐतिहासिक स्मारक पर कब्जा करने और निशान साहिब और ‘किसान’ झंडा फहराने का प्रयास किया, बल्कि वो इसे नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के लिए नया प्रोटेस्ट पॉइंट बनाना चाहते थे। हिंसा की साजिश के बारे में बताते हुए वर्ष 2019 के मुकाबले 2020 के दौरान हरियाणा और पंजाब में ट्रैक्टर्स की खरीद के आंकड़ों का उल्लेख किया गया है।
कहा गया है कि जब दिसंबर 2020 में आंदोलन चरम पर था, उस समय गत वर्ष के मुकाबले 95 फीसदी ट्रैक्टर्स की अधिक खरीद हुई। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 3,232 पन्नों की चार्जशीट में इस बात का विस्तार से उल्लेख किया गया है कि लाल किले में हिंसा के लिए किस तरह साजिश रची गई। दिल्ली पुलिस ने 22 मई को दाखिल की गई इस चार्जशीट में कहा कि हिंसा कृषि कानूनों के विरोध की आड़ में रचा गया एक बड़ा षड्यंत्र था। दिल्ली में प्रवेश करने वाली अनियंत्रित भीड़ का मुख्य इरादा लाल किले को नया प्रोटेस्ट पॉइंट बनाना था। गणतंत्र दिवस को हुए इस हिंसा में 500 के करीब पुलिसकर्मी जख्मी हुए थे।
चार्जशीट के अनुसार, गिरफ्तार आरोपियों ने जानबूझकर इसके लिए 26 जनवरी जैसा दिन चुना था। उनका उद्देश्य लाल किले पर निशान साहिब का झंठा फहराकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश को शर्मिंदा करने का था। पुलिस ने दावा किया है कि उनकी तफ्तीश में पता चला है कि ट्रैक्टरों की खरीद एक सुनियोजित साजिश के इरादे से की गई। इनको दिल्ली की ट्रैक्टर परेड में ले जाने के लिए खासतौर पर खरीदा गया था। इकबाल सिंह नाम के एक आरोपी ने पूछताछ के दौरान बताया था कि लाल किले की प्राचीर पर निशान साहिब फहराने में सफल होने पर सिख फॉर जस्टिस ग्रुप ने उसे 50 लाख का नकद इनाम देने का वादा किया था।