आज भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा का वार्षिक स्नान अनुष्ठान बगैर भक्तों के कोविड-19 प्रोटोकॉल की सख्ती के बीच किया गया। बता दें कि ‘स्नान यात्रा’, रथ यात्रा से पहले हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, ‘ज्येष्ठ’ माह की पूर्णिमा के दिन होती है, जिसे भगवान जगन्नाथ का जन्मदिवस भी माना जाता है।
अधिकारियों ने जानकारी दी है कि जिला प्रशासन ने वैश्विक महामारी को देखते हुए लगातर दूसरे साल ‘देवस्नान’ उत्सव में भक्तों को शामिल होने की अनुमति नहीं दी और 12वीं सदी के इस मंदिर के आस-पास सुरक्षा बढ़ा दी। लोगों के जमावड़े को रोकना सुनिश्चित करने के लिए बुधवार रात से ही यहां कर्फ्यू लगा दिया गया था। पुरी डीएम समर्थ वर्मा ने बताया कि राज्य सरकार ने उत्सव के सीधे प्रसारण के लिए व्यापक प्रबंध किया है।
वर्मा ने आगे कहा कि जो लोग अनुष्ठानों में शामिल हुए, उनकी RT-PCR जांच की गई और उनकी जांच रिपोर्ट कोविड-19 के लिए नेगेटिव आई थी, जबकि कार्यक्रम के दौरान मौजूद रहे सेवकों को वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी हैं। भगवान की प्रतिमाओं को मंदिर परिसर में मौजूदा ‘सूना कुआं’ से खींचे गए 108 घड़ों के पानी से स्नान कराया गया। पूर्ण सार्वजनिक दर्शन में त्रिमूर्ति को फिर ‘गजानन’ या ‘गणेश बेश’ में तैयार किया गया और हर दिन चढ़ने वाले प्रसाद या ‘भोगालागी’ तैयार किया।