भारत कोकिला सरोजनी नायडू को तो आप सभी जानते ही होंगे। सरोजनी नायडू ने आज ही के दिन इस दुनिया को अलविदा कहा था। आज उनकी पुण्यतिथि है। वह भारत की एक प्रसिद्ध कवयित्री और भारत देश के सर्वोत्तम राष्ट्रीय नेताओं में से एक थीं। जब भारतीय स्वतंत्रता संग्राम हुआ था तब वह हमेशा ही आगे रहीं थीं। उन्हें हमेशा ही गांधी जी के साथ देखा गया था। उस दौर में सरोजनी नायडू एक कवयित्री थीं। उस दौरान उन्हें उत्तर प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया था। उस दौरान उत्तर प्रदेश विस्तार और जनसंख्या की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा प्रांत था।
उस दौरान उस पद को स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा था कि, ‘मैं अपने को क़ैद कर दिये गये जंगल के पक्षी की तरह अनुभव कर रही हूं।’ वैसे उस समय वह जवाहरलाल नेहरू जी का बेहद सम्मान करती थीं यही वजह थी कि वह उनकी इच्छा को टाल ना सकीं। उनका जन्म 13 फरवरी, 1879 को हुआ था। सरोजनी नायडू के पिता चाहते थे कि उनकी पुत्री वैज्ञानिक बने लेकिन सरोजनी नायडू को कविताओं से प्रेम था और वह कवियित्री बन गईं। 13 साल की उम्र में ही उन्होंने 1300 पदों की ‘झील की रानी‘ नामक लंबी कविता लिखी थी।
इसी के साथ उन्होंने लगभग 2000 पंक्तियों का एक विस्तृत नाटक लिखकर अंग्रेजी भाषा पर अपनी पकड़ का उदाहरण दिया था। उस समय सरोजनी नायडू को शब्दों की जादूगरनी कहा जाता था। सरोजनी बहुभाषाविद थीं और वह क्षेत्रानुसार अपना भाषण अंग्रेज़ी, हिन्दी, बंगला या गुजराती भाषा में देती थीं। आप सभी को बता दें सरोजनी नायडू की मृत्यु 02 मार्च, 1949 को लखनऊ में हुई।
Tags India Nightingale Sarojini Naidu had said goodbye to this world on this day
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