कोरोना काल में किसानों को दोहरी मार झेलना पड़ रही है। इसी बीच तमिलनाडु के थिरूथानी में एक किसान को विवश होकर साइकिल से अपना खेत जोतना पड़ा। किसान का बेटा और परिवार के दूसरे सदस्य भी इस काम में उसका हाथ बंटा रहे हैं। 37 वर्षीय नागराज अपने पुश्तैनी खेत को संभालने के लिए पारंपरिक रूप से धान की खेती करते थे। किन्तु, उन्हें उसमें नुकसान होने लगा। ऐसे में नागराज ने सम्मांगी-चंपक की फसल उगाने का निर्णय किया। बता दें कि इसके फूलों का इस्तेमाल कई प्रकार से किया जाता है।
परिवार ने ऋण लेकर खेत की जमीन को समतल किया। 6 माह तक काम किया और पौधों के बड़े होने की प्रतीक्षा की। दुर्भाग्य ये रहा कि फूल बड़े होने के बाद लॉकडाउन के कारण मंदिर बंद कर दिए गए। शादी समारोह भी ठप्प पड़े रहे। नागराज पूरे साल परेशानी में रहे। बचत भी समाप्त हो गई, इस बीच कर्ज चुकाने की चिंता लगातार बढ़ती गई। जिसके बाद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और एक बार फिर उसी फसल के लिए काम आरंभ कर दिया है।
इस बार उन्होंने अपने बेटे को स्कूली छात्रों को दी जाने वाली निःशुल्क साइकिल का उपयोग हल के रूप में किया। साइकिल को खेत जोतने योग्य साधन के रूप में बनाया और बेटे के साथ लग गए काम पर। अपने भाई और बेटे की सहायता से, नागराज ने बीते कुछ महीनों में हुए नुकसान की भरपाई करने की ठानी। उन्होंने अपने नए उपकरणों से जमीन की जुताई करते हुए कई घंटों लगातार खेत में काम करना आरंभ किया। उन्होंने बताया कि “मैं अपने बेटे की साइकिल का हल के रूप में उपयोग कर रहा हूं। ऐसे में जब गुजारे के लिए कोई रास्ता नहीं बचा है, कहीं से कोई सहायता नहीं मिल रही है तो मैंने खेत को जोतने के लिए ये रास्ता निकाला है।” उन्हें उम्मीद है कि इस बार उनकी फसल जरूर बिकेगी और घर का खर्च चलाने के लिए हाथ में कुछ धन आएगा।