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लव जिहाद की पृष्ठभूमि पर ‘द कन्वर्ज़न’ नामक फ़िल्म 6 मई को हुई रिलीज़

नई दिल्ली। भारत में लव मैरिज और अरेंज मैरिज को लेकर हमेशा से बहस चलती रही है। अपने देश के छोटे-छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में आज भी प्रेम विवाह करना वर्जित है। लोग एक-दूसरे से प्यार तो करते हैं, लेकिन उनकी मोहब्बत शादी के मंडप तक नहीं पहुंच पाती है। प्रेम प्रसंगों को दिखाते ऐसे ही संजीदा विषयों और सामाजिक हालात पर इश्क़ज़ादे,‌ मोहब्बतें, फ़ना जैसी कई फ़िल्में भी बन चुकी हैं जहां लड़का और लड़की एक-दूसरे से शिद्दत से प्यार तो करते हैं, लेकिन उन्हें अपने रिश्ते को निभाते और संभालते हुए कई तरह की मुश्क़िलों का सामना करना पड़ता है। ऐसे ही मिलते-जुलते विषय और पृष्ठभूमि पर ‘द कन्वर्ज़न’ नामक फ़िल्म छह मई को रिलीज़ हुई है जिसे दर्शकों का भरपूर प्यार मिल रहा है। पूरी तरह से बॉलीवुडिया स्टाइल में बनी यह फ़िल्म भारत में प्रेम विवाह के दौरान धर्म परिवर्तन की कोशिशों से जुड़े मुद्दों को बेहद संजीदा तरीके से उठाती है।
फ़िल्म के निर्देशक विनोद तिवारी कहते हैं, ‘हमने इस फ़िल्म के निर्माण के दौरान पेश आईं कई बाधाओं को पार कर इसे पूरा किया है और हमें इसे देशभर में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में प्रदर्शित किया है।’
‘द कन्वर्ज़न’ की लेखिका हैं वंदना तिवारी, जबकि फ़िल्म का निर्माण राज पटेल, विपुल पटेल और राज नोस्त्रम ने ‘नोस्त्रम एंटरटेनमेंट हब’ बैनर के तले मिलकर किया है। फ़िल्म का सुमधुर संगीत अनामिक चौहान ने दिया है।
विनोद तिवारी निर्देशित ‘द कन्वर्ज़न’ में विंध्या तिवारी और प्रतीक शुक्ला लीड रोल्स में हैं। अपने सशक्त अभिनय से इन दोनों कलाकारों ने अपनी भूमिकाओं में जान डाल दी है। इनके अलावा सहयोगी भूमिकाओं में रवि भाटिया, विभा छिब्बर, मनोज जोशी, अमित बहल, सुनीता राजभर, संदीप यादव और सुशील यादव भी फिल्म की जान हैं।


ग़ौरतलब है कि अहमदाबाद, बेंगलुरु, हैदराबाद, आणंद, जबलपुर, ग्वालियर और मुम्बई जैसे शहरों में इस फ़िल्म‌ की हुई स्पेशल स्क्रीनिंग्स में भी फिल्म को लोगों का बढ़िया प्रतिसाद मिला था। बता दें कि इस फ़िल्म को दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता कपिल मिश्रा का समर्थन हासिल है, जो एक गैर-सरकारी संगठन भी चलाते हैं.
यह फ़िल्म “अपनी बेटी बचाओ ” नामक नेक मक़सद के लिए समर्पित है।
दिल्ली में फिल्म के प्रमोशन के सिलसिले में आयोजित प्रेस वार्ता में भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने कहा कि दूसरे समुदाय के कुछ लोग हिंदू लड़कियों को प्रेम जाल में फंसाने के लिए अपना नाम हिंदू नाम रख लेते हैं। उसके बाद उन्हें प्रेम जाल में फंसाकर उससे शादी कर लेते हैं और उनका जबरन धर्म परिवर्तन कराते हैं। इसका हम विरोध करते हैं। मेरा मानना है कि कन्या पूजन की जगह अगर हम बच्चों को यह फिल्म दिखाएं तो उन्हें दूसरे समुदायों के लव जिहाद के बारे में पता चलेगा और वह सतर्क हो जाएंगे।
बता दें कि स्पेशल‌ स्क्रीनिंग्स में फ़िल्म देखने के बाद आणंद, अहमदाबाद, बेंगलुरु, मुम्बई जैसे शहरों में लोग अपनी 12 साल से बड़ी बेटियों को विशेष रूप से यह फ़िल्म दिखाने के लिए पूरे थिएटर को बुक करा रहे हैं। निजी तौर पर लोगों के अलावा विभिन्न तरह के संगठन भी फिल्म‌ की प्री-बुकिंग में विशेष दिलचस्पी दिखा रहे हैं।

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